विधायकों-मंत्रियों के वेतन और भत्तों में भारी इजाफा, विधानसभा में हुआ सर्वसम्मति से पारित
लखनऊ। नौ साल बाद उत्तर प्रदेश में विधायकों और मंत्रियों के वेतन-भत्तों में बड़ी बढ़ोतरी की गई है। गुरुवार को विधानसभा में उत्तर प्रदेश विधानमंडल सदस्य एवं मंत्रीगण सुख-सुविधा अधिनियम (संशोधन) विधेयक-2025 सर्वसम्मति से पारित हुआ। वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने सदन में इसकी घोषणा की।
विधेयक के मुताबिक अब विधायकों को वेतन और भत्ते मिलाकर हर माह ₹1.25 लाख के स्थान पर ₹1.85 लाख प्राप्त होंगे। इसमें ₹10,000 बेसिक वेतन वृद्धि और अन्य भत्तों में इजाफा शामिल है। यह वृद्धि लगभग ₹60,000 प्रतिमाह यानी करीब 48% है। बढ़ोतरी से सरकार पर सालाना ₹105 करोड़ 21 लाख 63 हजार रुपये का अतिरिक्त भार आएगा। नया वेतनमान 1 अप्रैल 2025 से लागू होगा और हर पांच साल में मुद्रास्फीति सूचकांक के आधार पर स्वतः संशोधित होगा।
पूर्व विधायकों को भी सौगात
राज्य सरकार ने पूर्व विधायकों की पेंशन भी बढ़ाकर ₹25,000 से ₹35,000 प्रतिमाह कर दी है। छह वर्ष का कार्यकाल पूरा करने पर ₹2,000 प्रतिमाह अतिरिक्त पेंशन दी जाएगी। पारिवारिक पेंशन ₹25,000 से बढ़ाकर ₹30,000 कर दी गई है और पात्रता में अविवाहित पुत्री को भी शामिल किया गया है।
अन्य सुविधाओं में वृद्धि
मौजूदा समय में विधायक को सालाना ₹4.25 लाख के रेलवे कूपन और ₹25,000 नगद मिलते थे, जिसे अब ₹5 लाख कर दिया गया है। पूर्व सदस्यों के रेलवे कूपन ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹1.50 लाख और नगद सीमा ₹1 लाख कर दी गई है।
वेतन वृद्धि का इतिहास
2010 में मायावती सरकार ने वेतन ₹30,000 से बढ़ाकर ₹50,000 किया था। 2015 में यह ₹60,000 से ₹1,00,000 हुआ। 2016 में अखिलेश यादव सरकार ने तीसरी बार बढ़ोतरी की और अब 2025 में योगी सरकार ने चौथी बार लगभग ₹60,000 की वृद्धि की है।
कोविड काल में कटौती
अप्रैल 2020 से मार्च 2021 के बीच मंत्रियों और विधायकों के वेतन-भत्तों में 30% कटौती कर राशि कोविड राहत कार्यों में लगाई गई थी।